इंडिया 24×7 न्यूज़: खेल मंत्रालय ने एसजीऍफ़आई और सुशिल कुमार को लेकर चल रहे विवाद अपना फैसला दिया है। आपको बता दें कि पिछले २ / 3 महीने से एस जी ऍफ़ आई और सुशिल कुमार के बीच एसजीऍफ़आई के चुनावों को लेकर विवाद चल रहा था।
चुनावों का फैसला लेने के लिए एसजीऍफ़आई महासचिव ने एग्जीक्यूटिव मीटिंग बुलाई जिसमे एग्जीक्यूटिव ने चुनाव कराने और चुनाव अधिकारी नियुक्त करने को लेकर एकतरफा फैसला लिया था।
आपको बता दें एसजीऍफ़आई के बॉयलाज़ यानी SGFI कानून के अनुसार चुनाव अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार केवल अध्यक्ष के पास ही है लेकिन उस एग्जीक्यूटिव कमेटी का सुशील कुमार ने बहिष्कार किया जिसके चलते एग्जीक्यूटिव ने एकतरफा फैसला लेते हुए चुनाव अधिकारी की नियुक्ति की।
कल से ही ऐसी खबरें आ रहीं थी कि खेल मंत्री ने एस जी ऍफ़ आई चुनावों को न अस्वीकार करने का मन बना लिया है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी।
Embed from Getty Imagesलेकिन खेल मंत्रालय आज इस बारे एक पत्र जारी किया है। पत्र अध्यक्ष और महासचिव के नाम से जारी किया गया पत्र में अध्यक्ष या महासचिव का नाम नहीं लिखा गया लेकिन अध्यक्ष का पता छत्रसाल स्टेडियम और महासचिव का पता आगरा कार्यालय लिखा गया है।
पत्र में साफ़ तौर पर लिखा है कि एसजीऍफ़आई द्वारा 29 दिसंबर को कराया गया चुनाव खेल मत्रालय के नेशनल कोड ऑफ़ कंडक्ट का उलंघन है। इस चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी नियुक्त किये जाने का अधिकार केवल अध्यक्ष के पास है। पत्र में कहा गया है कि इस चुनाव प्रक्रिया में शुरू से नेशनल कोड ऑफ़ कंडक्ट का उल्लंघन हुआ है।
पत्र में एस SGFI को नेशनल कोड ऑफ़ कंडक्ट के तहत फिर से चुनाव कराने के लिए कहा गया है।
आपको बता दें कि दो बार ओलिंपिक पदक विजेता सुशिल कुमार एक समय पर इस चुनाव प्रक्रिया से दरकिनार कर दिए गए थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। सुशिल कुमार एक जानी मानी हस्ती हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई अन्य राजनीतिगयों से उनके अच्छे संबंध हैं जिसके चलते वह इन चुनावों को रद्द करवाने में सफल हुए।
देखने वाली बात अब यह होगी कि नए सिरे से होने वाले चुनावों में कौन बाज़ी मारेगा ? अब खेल ना तो सुशिल कुमार के हाथ है और ना ही उस कार्यसमिति के जो तमिलनाडु में चुनी गई थी। हालांकि खेल मंत्रालय द्वारा चुनाव निरस्त करवाकर सुशिल कुमार अपनी ताक़त सिद्ध करने में सफल ज़रूर हुए हैं।
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