सीसोदिआ को भाजपा का निमंत्रण – लगता है दिल्ली में महाराष्ट्र प्रकरण दोहराने की त्यारी हो रही है। कम से कम सिसोदिया के ब्यान से तो ऐसा ही लग रहा है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ट्वीट से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि मेरे पास भाजपा का संदेश आया है “आप तोड़कर भाजपा में आ जाओ, सारे CBI ED के केस बंद करवा देंगे।

सिसोदिया ने भाजपा का प्रस्ताव ही नहीं ठुकराया बल्कि भाजपा को ललकारा कि मेरे खिलाफ जो कर लो। सिसोदिया ने ट्वीट के ज़रिये प्रस्ताव को ठुकराते लिखा “मेरा भाजपा को जवाब – मै महाराणा प्रताप का वंशज हूँ, राजपूत हूँ। सर कटा लूंगा लेकिन भ्रष्टाचारियों षठ्यंत्रकारियों के सामने झुकूंगा नहीं। मेरे खिलाफ सारे केस झूठे हैं। जो करना है कर लो।”
यदि सिसोदिया भाजपा का प्रस्ताव मान लेते तो भाजपा को इससे बहुत बड़ा फायदा और आम अद्द्मी पार्टी का बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता था। दिल्ली में महाराष्ट्र प्रकरण दोहराया जाता, भाजपा की दिल्ली में भी सरकार बनती , दिल्ली में आम आदमी पार्टी भाजपा की गले में हड्डी बनी हुई है।
इतना ही नहीं भाजपा दिल्ली नगर निगम के चुनाव भी जीत जाती और सबसे बड़ा फायदा उनको गुजरात में हो सकता था। गुजरात और हिमाचल में विधान सभा चुनाव होने वाले है और दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी भाजपा के लिए भारी सरदर्द बनी हुई है। यदि सिसोदिया दिल्ली में विधायक तोड़कर भाजपा में शामिल हो जाते तो तीनो राज्यों यानि दिल्ली हिमाचल और गुजरात में भाजपा को बहुत बड़ा सुकून मिल जाता।
सिसोदिया पर CBI छापे को लेकर आम जनता में असमंजस कि स्तिथि देखि जा सकती है जिसके दो बड़े कारण हैं: सीबीआई छापा मारा गया यानि कहीं कुछ तो गड़बड़ होगी, F.I.R भी रजिस्टर हुई जिसमे सीसोदिआ सहित 16 नाम हैं और उपराजयपाल द्वारा जांच का आदेश देते ही दिल्ली सरकार ने अपनी नई शराब नीति तुरंत वापिस ली यह अपने आप में साबित करता है की दाल में कुछ तो काला है लेकिन दूसरी तरफ तर्क यह भी दिया जा रहा है कि यदि सच में कुछ घपला हुआ है तो उपराजयपाल द्वारा जांच का आदेश देते ही तुरंत छापा क्यों नहीं मारा गया, क्यों दिल्ली सरकार को एक महीना का समय दिया गया ताकि वह सभी कागज़ और पैसा गायब कर दे?
कांग्रेस मुक्त भारत या विपक्ष मुक्त भारत
भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती रही है लेकिन ध्यान से देखें तो भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत नहीं बल्कि विपक्ष मुक्त भारत की कल्पना कर रही है और इसे अंजाम देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। कम से कम महाराष्ट्र और दिल्ली देखें तो ऐसा ही प्रतीत होता है। अगर बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की माने तो कोशिश तो बिहार मे भी हुई थी लेकिन नीतीश कुमार बेहद माझे हुए खिलाड़ी हैं और समय रहते उन्होंने भाजपा की इस चाल को समझा और नाकाम कर दिया।
यदि सीसोदिआ और नीतीश की मने तो यह पूरे विपक्ष के लिए खतरे की घंटी है। हालांकि विपक्ष इससे आगाह हो चुका है लेकिन विपक्षी एकजुटता के बिना भाजपा के डाव पेंचों से निपटना बहुत मुश्किल दिखाई देता है और आज के हालातों को देखते हुए लगता नहीं कि 2024 में मोदी और भाजपा के लिए कोई बड़ी चुनौती बन सकता है।
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