समय सरकार से लड़ने का नहीं कोरोना से लड़ने का
अपने वीडियो प्रेस वार्ता के शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि उनके सुझावों को आलोचना के रूप में नहीं बल्कि रचनात्मक सलाह के रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा की यदि इस समस्या से निजात पाना है तो सभी राजनितिक दलों मिलकर इस समस्या से लड़ने के लिए सहयोग करना होगा। राहुल गांधी ने कहा कि ये समय सरकार और विपक्ष के बीच लड़ाई का नहीं है बल्कि ये कोरोना वायरस से लड़ने का समय है।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए राहुल गाँधी देशभर के संवादताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि देशभर में लॉकडाउन लागू कर देना कोरोना वायरस का इलाज नहीं है, टेस्टिंग ही कोरोना से लड़ने का सही हथियार है. उन्होंने कहा की देश में ज़्यादा से ज़्यादा टेस्ट जाने चाहिए जो की नहीं हो रहे हैं। देश में 10 पर केवल 199 टेस्ट हे हो रहे हैं जो की नाकाफी हैं।
लॉकडाउन से हमें तैयारियां पूरी करने का वक़्त मिला है
उनका कहना है कि ”बीते कुछ महीनों में मैंने देश-विदेश के कई विशेषज्ञों से बात की है। लॉकडाउन कोरोना वायरस का समाधान नहीं है. जब हम लॉकडाउन से बाहर आएंगे तो वायरस तेज़ी से फैलेगा. लॉकडाउन से हमें वो वक़्त मिला है जिसमें हम अपनी तैयारियां पूरी कर सकें। अस्पतालों की स्थिति, मेडिकल उपकरण और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बना सकें. ताकि जब वायरस का संक्रमण बढ़े तो हम उससे निपटने में सक्षम हों। ”
हम सिर्फ़ उन मामलों को देख रहे हैं जो पॉजिटिव हैं
“टेस्टिंग से ही हम पता लगा पाएंगे कि वायरस कहां है और उसे रोका जा सकता है. बीते 72 दिनों में हमने हर ज़िले में औसतन 350 टेस्ट किए हैं, जो कि बेहद कम है. अगर हम वायरस को हराना चाहते हैं तो हमें टेस्टिंग बढ़ानी होगी। अभी हम सिर्फ़ उन मामलों को देख रहे हैं जो पॉजिटिव हैं और सिर्फ उनके आधार पर ट्रेसिंग कर रहे हैं. लेकिन इस तरह की टेस्टिंग से हम वायरस को पूरी तरह पकड़ नहीं पाएंगे।
राहुल ने कहा कि सरकार को मेरा सुझाव है कि टेस्टिंग बढ़ाए और टेस्टिंग की रणनीति बनाई जाए। उन्होंने मज़दूरों और दिहाड़ी करने वालों के लिए खाने का इंतज़ाम करने की वकालत करते हुए कि खाद्य क्षेत्रों को मज़बूत किया जाना चाहिए, ज़रूरतमंदों को राशन कार्ड दिया जाना चाहिए, न्याय स्कीम के तहत ग़रीबों के खाते में सीधे पैसा जाना चाहिए. कोरोना के ख़िलाफ़ तो लड़ाई अभी शुरू हुई है और ये लड़ाई लंबी चलेगी। उन्होंने सरकार के ज़रिए जारी किए गए आर्थिक पैकेज को बहुत कम बताते हुए और पैसे देने की बात कही और प्रवासी मज़दूरों को लेकर रणनीति बनाये जाने पर ज़ोर दिया।
कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई अभी शुरू हुई है, लंबी चलेगी
उन्होंने कहा की जो हो गया वो हो गया, यह आपातकाल है, अब इसपर चर्चा नहीं कर सारा देश एकजुट होकर आगे बढ़े। अगर आपको लगता है की लॉकडाउन हो गया तो बात बन गई, नहीं बात नहीं बनी है यह सिर्फ टल गई है। हम संसाधनों को उन लोगों तक पहुचाएं जो जिला स्तर पर काम कर रहे हैं।
जैसा की हमेशा होता है राहुल गांधी की इस वार्ता के बाद कुछ नेताओं ने उनकी आलोचना शुरू कर दी। इन नेताओं का मकसद रहता है निंदा करके लोकप्रिय होना। राहुल गाँधी द्वारा सकारत्मक बातों का समर्थन किया जाना चाहिए। यहां ये समझने की ज़रूरत है की विपक्ष के नेता यदि सकारात्मक ब्यान देते हैं तो उनके निचले स्तर तक के उनके कार्यकर्ता भी सकारात्मक बातें और सरकार से सहयोग करने लगते हैं।