एजेंसी NR: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने देश भर में उनके खिलाफ दायर अभद्र भाषा के मामलों को क्लब करने की मांग की थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए उनके द्वारा की गई टिप्पणी की आलोचना की जिससे उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।मई के अंतिम सप्ताह में, जब वह अभी भी भाजपा की प्रवक्ता थीं, शर्मा ने कई टेलीविजन बहसों में पैगंबर और मुस्लिम समुदाय के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। भाजपा से निलंबन के बाद शर्मा ने माफी मांगी और अपना बयान वापस ले लिया। उसके खिलाफ दिल्ली, मुंबई, पश्चिम बंगाल और असम सहित कई एफआईआर दर्ज की गईं। शर्मा ने अपने खिलाफ अभद्र भाषा के सभी मामलों को दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
नुपुर को सुप्रीम फटकार – क्या है इसके मायने, क्या कौर्ट वापिस लेगा अपनी टिप्पणी
श्रीराम ठोलिया …नई दिल्ली – बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा पर सुप्रीम कौर्ट ने फटकार लगायी है व् देश से माफ़ी मांगने को कहा है इसके मायने क्या है ? क्या इस देश मे हिन्दू होना अपराध है? क्या उनको अभिव्यक्ति की आजादी नहीं? क्या वो खुद को डिफेंड नहीं कर सकेते ? आप अल्पसंख्यक हो तो आप जो चाहे मर्जी कर सकते हो? पत्थरबाजी से लेकर किसी का गला काटने तक सरकारी सम्पति तहस नहस करने तक!!इसपर नुपुर के वकील ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है ,की माननीय सर्वोच्च न्यायलय को अपनी टिप्पणी वापिस लेनी चाहिए ..वेसे देश के लगभग लोग जो नुपुर शर्मा के समर्थन में खड़े है वो इस टिपण्णी को गैर जरूरी व् वापिस लेने को बोल रहे हैं … कुछ लोगों का कहना है की की क्या कौर्ट अभिव्यक्ति की आजादी को फटकार लगा रहा है … जबकि नुपुर ने वही बोला जो लिखा गया है अब तक बताया गया है और वो भी तब बोला जब सामने से एक मौलाना द्वारा सनातन देवों के बारे में अनाब शनाब बोला जा रहा था तब नुपुर ने वार्निंग भी दी की आप गलत बोल रहे है उसके बाद नुपुर का वो वक्तव्य आया जो विवादास्पद हो गया , जिस से एक धर्म विशेष के लोगों के लिए अपने देश की आन से बढकर वो बयान व् धर्म हो गया और एक नुपुर के खिलाफ ५६ इस्लामिक देश एक हो गये … नुपुर को जान से मारने व् रैप तक की धमकियाँ मिलने लगी इस स्थिति में उन्हें प्रोटेक्शन क्यों न दी जाए ? उनका सर तन से जुदा करने के नारे हर रैली में गूंज रहे थे हर कोई कानून को हाथ में लेने को तेयार था .. और ऐसा हुआ भी उदयपुर में नुपुर हाथ नहीं लगी तो कट्टरपंथियों ने कन्हैया का गला काट दिया व् देश के प्रधानमन्त्री तक को धमकी तक दे दी करोड़ों की सार्वजनिक सम्पति का नुकसान किया गया सेंकडों पुलिसवाले घायल हुए लेकिन इस पर भी अगर सुप्रीम कौर्ट की बेंच नुपुर को ही माफ़ी मांगने के लिए बोलती है तो ये विरोध व् गतिरोध का ही विषय होगा और इसका सामना भी करना पड़ेगा … क्योंकि अपने ही देश में डर डर के जीने व् अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का ही प्रयोग नहीं करने पाने से बद्दतर कुछ नहीं हो सकता …. टिप्पणी फैसला सब बदलना पड़ेगा …!!!!