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गुजरात में 2017 में काँग्रेस ने जीती थी आदिवासी इलाकों में 27 में से 14 सीटें, क्या पार्टी के सामने इस बार एक मजबूत वोट बैंक बनाए रखने की है चुनौती?

जैसे-जैसे गुजरात विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस, बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी भी गुजरात में आदिवासी वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित कर रही है। गुजरात में आदिवासी समुदायों के लिए 27 आरक्षित सीटें हैं। चुनावी बिगुल बज गया है। अब तक कॉंग्रेस का आदिवासी सीटों पर दबदबा रहा है. क्या इस बार उनके लिए यह कोई चुनौती है? इसे लेकर सवाल इसलिए उठ रहें हैं, क्योंकि बीजेपी के साथ-साथ अब आप भी वोटों का अंतर पैदा कर सकती है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में दक्षिण गुजरात का आदिवासी विस्तार और उमरगाम से अंबाजी तक आदिवासी बहुल सीटें है। बीजेपी और आप की भी नजर आदिवासी वोट बैंक की तरफ है और वह उनको आकर्षित करने के लिए प्रयास कर रहा है। भूपेंद्र पटेल की सरकार में 4 आदिवासी विधायकों को भी मंत्री पद दिया गया है। इसलिए कांग्रेस ने भी आदिवासी समुदाय के नेता को विपक्ष का नेता चुना है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासी सम्मेलन भी किया था, इसके अलावा अन्य आदिवासी इलाकों में भी बैठकें होंगी। निकट भविष्य में वह फिर से दक्षिण गुजरात का भी दौरा करेंगे।

आदिवासी वोट बैंक तोड़ने के लिए बीटीपी भी सक्रिय है। अरविंद केजरीवाल भी भरूच और नर्मदा इलाकों में कार्यक्रम कर चुके हैं। इसके अलावा आप की विभिन्न गारंटियां भी उनको प्रभावित कर सकती हैं। आदिवासी समुदाय को कोर वोट बैंक माना जाता है। पिछली बार कांग्रेस ने आदिवासी इलाकों की 27 में से 14 सीटें जीती थीं। कांग्रेस के सामने एक मजबूत वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती भी है।

अगले कुछ दिनों में, जब देश में पहला चुनाव दिसंबर या उससे पहले गुजरात में हो रहा है, तब कांग्रेस नेता रंजन चौधरी ने एक आदिवासी महिला और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान किया था, वह भी एक बड़ा विवाद बना था। उनका ये बयान भी भारी पड़ सकता है। क्योंकि गुजरात में 1 करोड़ आदिवासी हैं। तब इसका भी वोट बैंक पर भारी असर पड़ सकता है।

इस कारण गुजरात में आदिवासी वोट बैंक है आगे 
– 82 लाख आदिवासी मतदाता
– 27 सीटों पर आदिवासी उम्मीदवार हैं।
– करीब 40 सीटों पर आदिवासियों का दबदबा है।

2017 में बीजेपी ने 9 और कांग्रेस ने 14 आदिवासी सीटों पर जीत हासिल की थी
अब तक 2012 में कांग्रेस को 15 जबकि बीजेपी को 2 सीटें मिली थीं. जबकि 2017 में कांग्रेस को 14 और बीजेपी को 09 और निर्दलीय-जेडीयू को 1-1 सीट मिली थी.

इन जिलों में आदिवासियों का दबदबा
बनासकांठा, साबरकांठा, दाहोद, अरावली, महिसागर, पंचमहल, छोटाउदेपुर, नर्मदा, भरूच, तापी, वलसाड, डांग, सूरत जिले के कुछ हिस्से

बीजेपी हर साल देती है मंत्री पद
इस बार तीन आदिवासी मंत्रीओ को कैबिनेट में शामिल किया गया हैं। – नरेश पटेल, कुबेर डिंडोर और जीतू चौधरी

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