प्रधानमंत्री द्वारा लॉक डाउन बढ़ाए जाने से निराश हुए लगभग 2000 से ज़्यादा युवा कामगारों ने इकट्ठा होकर आज सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की उन्हें घर जाने के लिए ट्रेन का इंतज़ाम करके दिया जाए।
आज प्रधानमंत्री द्वारा लॉक डाउन बढ़ाये जाने पर मुंबई के कुर्ला इलाके में रहने वाले 2000 से ज़्यादा कामगार बांद्रा स्टेशन के पास इकठे हो गए। इन कामगारों की आशा थी की आज लॉक डाउन का आखरी दिन है और अब शायद घर जाने का मौका मिलेगा लेकिन ऐसा न होने पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
पुलिस ने भीड़ को समझाने का भरसक प्रयास किया जो नाकाम होते दिखा। अंत में पुलिस क्षेत्रीय नेताओं और भाजपा एम्एलए आशीष शैलार को बुलाकर उन्हें समझाया गया, उन्हें खाने को भी दिया गया, अभी बहुत से लोग सड़क पर तो नहीं लेकिन अपने इलाके में घरों से बाहर खड़े हैं। पुलिस ड्रोन द्वारा इलाके पर नज़र रख रही है उन्हें समझाने की कोशिश कर रही है। स्तिथि को काबू करने के लिए पुलिस को हल्का फुल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा।
ज्ञात रहे कि मुंबई के गरीब कामगारों के पास रहने के लिए छोटे छोटे कमरे होते हैं जहां 5 से 10 लोग एक साथ रहते हैं, कहीं कहीं तो ये लोग शिफ्टों में भी सोते हैं। पैसा सबके पास खत्म हो चूका है, कहीं कहीं सरकारी कोशिशों के बावजूद भी खाना पीना सही से नहीं मिल पा रहा है। इनसबके चलते सभी कामगार काफी निराश हैं और जल्द से जल्द अपने घर पहुंच जाना चाहतें हैं।
जहां एक तरफ भाजपा मुंबई में हुई इस घटना की निंदा क्र रही थी वहीं दूसरी तरफ बिलकुल ऐसी ही खबरें सूरत से भी आ रही हैं जहां 500 लोगों की भीड़ खाने पीने को लेकर निराश हैं और एकजुट होकर खाने पीने की मांग कर रहे हैं।
सरकारों के लिए इतने बड़े पैमाने राहत पहुंचाना सबसे पड़ी चुनौती बन चुकी है। सबसे खतरनाक बात यह है की यह इलाके संक्रमण के हॉटस्पॉट बन सकते हैं जहां सैंकड़ों लोग संक्रमित होने की स्तिथि में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।