इंडिया 24×7 न्यूज़: देश ने बहुत से आंदोलन देखे लेकिन ऐसा आंदोलन भारत के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है जहा इतनी बड़ी संख्या में आंदोलनकारिओं को किसी भी रोज़मर्रा वस्तु की कोई कमी नहीं हो रही है। सरकार की सोच के विपरीत किसान आंदोल दिन ब दिन एक बड़ा रूप लेता जा रहा है। दिल्ली के चारों तरफ हर बॉर्डर पर दूर दूर पानी से भरी सड़कें और जहां तक नज़र जाती है ट्रेक्टर ही दिखाई देते हैं। शायद सरकार ने सोचा भी नहीं होगा के किसानो से संबंधित यह तीन क़ानून इतने भारी पड़ सकते हैं।
किसान आंदोलन में ज़रूरत का हर सामन मिल रहा मुफ्त
आपको बता दें कि इस आंदोलन में ज़रूरत का हर छोटा बड़ा सामान एकदम मुफ्त उलब्ध कराया जा रहा है। एक तरफ खालसा ऐड (Khalsa Aid) का मिनी शॉपिंग मॉल और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पीलीभीत, पंजाब और विदेशी भारतीयों के सहयोग से बाबे नानक दी हट्टी पर रोज़मर्रा इस्तेमाल हर वस्तु मुफ्त उपलब्ध है।
मज़ेदार बात है कि इन दोनों जगहों पर हर धर्म के लोगों को हर सामन एकदम मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है। ना किसी से यह पूछा जा रहा है कि वह इस आंदोलन से जुड़ा है या नहीं, ना किसी से उसका परिचय पत्र माँगा जाता है और ना ही किसी का धर्म पूछा जाता है।
विश्वभर में सेवा करने के लिए विख्यात खालसा ऐड (Khalsa Aid) के अध्यक्ष रवि सिंह ने लाइव वीडियो के ज़रिए बार बार कहा है कि किसी भी सामान की आवश्यकता होने पर खालसा ऐड पूरी करेगी, उनके संगठन के पास पैसे की कोई कमी नहीं है और यह पैसा किसी भी गैरकानूनी संगठन या व्यक्ति से नहीं लिया गया है, वह किसी भी सरकारी जांच के लिए हमेशा तैयार हैं। उनका कहना है कि यूनाइटेड किंगडम की पुलिस जांच पड़ताल में विश्व में माहिर पुलिस के रूप में जानी जाती है तो क्या आपको लगता है यहां की सरकार हमे कुछ गलत काम करने पर पकड़ेगी नहीं ?
Embed from Getty Imagesकोई भूखा नहीं सोता यहां
खाने पीने का यहाँ ज़बरदस्त इंतज़ाम है। सारा दिन लंगर चलता रहता है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पंजाब के विभिन्न सामजिक संगठन या अपने अपने तम्बू लगा कर दिन रात खाना पानी बाँट रहे हैं। और ऐसा नहीं है कि बस खानापूर्ति की जाती हो, यहां तरह तरह की दाल सब्जियों का इंतज़ाम है। कभी हलवा या खीर बनती है तो कभी लोग यहां अपने से मिठाई भी बाँट देते हैं। यहां भी किसी से कोई पूछा नहीं जाता उसका धर्म उसकी जाती।
किसानन आंदोलन ही नहीं आस पास के गरीब भी इस आंदोलन की वजह से तीन टाइम का भरपेट भोजन कर पा रहे हैं।
रक्तदान शिविर
इस आंदोलन में बहुत कुछ नया देखने को मिला। अपनी मांगो के साथ साथ किसान देश की समस्याओं से भी वाकिफ हैं और इसके लिए उन्होंने प्रयास। खाना पानी ही नहीं बल्कि इस आंदोलन में गुरुपर्व के दिन रक्तदान शिविर भी लगाय गया था।
इतने बड़े आंदोलन के लिए पैसा है यह अपने बड़ा सवाल है। इस तरह की अफवाहें गर्म हैं कि इस संगठन को पाकिस्तान चीन और खालिस्तानी समर्थक पैसा दे रहे हैं।
कहाँ से आता है पैसा?
यह बात तो सभी जानते हैं कि दुनिया के हर कोने में भारतीय मौजूद हैं। इन सबमे अधिकतर ऐसे लोग हैं जिनके माँ-बाप किसान हैं, उन्होंने अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा बेचकर इन्हे विदेश पैसा कमाने भेजा था। आज उसी किसान का बेटा अपने माँ-बाप और अपनी ज़मीन जो बचाने के लिए पैसा भेज रहा है। आज वो सब लोग जो अपनी साड़ी ज़मीन बेच कर हमेशा के लिए विदेश में बस चुके हैं उन्हें अपनी ज़मीन चले जाने का मलाल है और आज वही लोग स्वयंसेवी संगठनों को पैसा भेज रहे हैं।
वैसे भी सिख कौम दिलदार कौम मानी जाती है जो समाज सेवा और भलाई के लिए कभी पीछे नहीं हटी। आज आप उन्हें आतंकी कहें या खालिस्तानी कहें वह आपकी सोच है। हाँ ये सही है कि इक्का दुक्का खालिस्तानी समर्थकों ने इस आंदोलन में घुसने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। रही बात विदेश से पैसा पैसे आने की तो वह पैसा लोगों के या संगठनों के खाते में आता है जिसकी जांच सरकार कभी भी कर सकती है।
किसान मोर्चा ने खुद इस बात की जानकारी सांझा की है कि उन्हें 36 से भी अधिक देशों से पैसे की सहायता मिल रही है, हालांकि सरकार ने बैंकों के माध्यम से इक्का दुक्का संगठनों को इसकी पूरी जानकारी मुहैया करवाने के लिए कहा है।
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