इटली में मरने वालों के आंकड़े भीषण और भयावह हैं। छह सौ पच्पन मरे। सात सौ दस मरे। आठ सौ पेंतालिस मरे। और संख्या बढ़ती ही गयी।
लगभग देशव्यापी उपायों के बावजूद धीरे-धीरे वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, देशव्यापी तालाबंदी और सभी गैर-जरूरी व्यवसायों को बंद करने के बावजूद, इटली “वक्र को कम करने” (flatten the curve) में असमर्थ रहा है – इटली की स्वास्थ प्रणाली पहले से ही बेहद दबाव में थी जिसे और अधिक दबाव में आने से रोकने में सरकार असमर्थ रही जो की स्वभाविक है।
इटली देश के नवीनतम आंकड़ों 69,176 संक्रमणों से कुल 6,820 मौतों की सूचना है, जिसमें लगभग 10 प्रतिशत की मृत्यु दर है। इसके विपरीत, चीन में, जहां प्रकोप की उत्पत्ति हुई, मृत्यु दर 3.8 प्रतिशत है। जर्मनी में, जिसमें 33,927 से अधिक मामले और 171 मौतें हुई हैं, यह 0.5 प्रतिशत है।
लेकिन इटली की खतरनाक मृत्यु दर के कई कारण हो सकते हैं।
पिछले एक महीने में आपातकालीन स्थिति तेजी से बिगड़ने के कारण, इटली ने केवल उच्च महामारी की तीव्रता वाले क्षेत्रों में गंभीर लक्षण दिखाने वाले लोगों पर अपना परीक्षण केंद्रित किया। बाकी क्षेत्रों पर ध्यान न देने की वजह से घातक वृद्धि हुई।
कोरोनो वायरस संक्रमण के लक्षण, जैसे बुखार और सूखी खाँसी के भड़कने में 14 दिन तक लग सकते हैं, और अवधि के दौरान, रोगी संभवतः इसे बहुत से अन्य लोगों में प्रसारित कर चुका होता है। इस तरह से कोरोनो वायरस के संक्रमण का तेजी से उन लोगो में प्रसार होता है जो तब तक अनजान रहते हैं जब तक वे लक्षण विकसित नहीं करते हैं और परीक्षण नहीं करवाते हैं।
15 मार्च तक, इटली ने लगभग 125,000 परीक्षण किए थे। इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया – जिसने व्यापक परीक्षण की रणनीति को लागू किया है – ने लगभग 340,000 परीक्षण किए हैं, जिनमें हल्के या बिना कोई लक्षण दिखाने वाले लोग शामिल हैं। यह अब तक लगभग 9,000 संक्रमण दर्ज कर चुका है, जिसमें मृत्यु दर 0.6 प्रतिशत है।
इटली के ‘सामाजिक संपर्क मैट्रिक्स’
जबकि कोरोनो वायरस सभी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन वयस्कों को इस संक्रमण के होने की संभावना ज़्यादा होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) में उम्र के साथ गिरावट आती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (आईएसएस) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इटली में, मरने वालों में से 85.6 प्रतिशत लोग 70 से अधिक थे।
जापान के बाद, 65 वर्ष से अधिक आयु के इटली वासिओं की दुनिया में दूसरी सबसे बुज़ुर्ग आबादी है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी भी संक्रमण की घातक दर को बढ़ाने एक बड़ा कारण हो सकती है।
एक अन्य संभावित कारण इटली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली है, जो सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करती है और काफी हद तक नि: शुल्क है।
इटली के सबसे बड़े चिकित्सा केंद्रों में से एक में कई रोगियों के साथ हमारे पास कई बुजुर्ग लोग हैं, जो व्यापक देखभाल के लिए लंबे समय तक जीवित रहने में सक्षम थे, लेकिन ये लोग दूसरों की तुलना में अधिक नाजुक थे। ये लोग कोरोना वायरस से पहले ही अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार COVID-19 पीड़ितों की प्रोफ़ाइल का पता लगाने पर देखा गया कि मृतकों में से औसतन 48 प्रतिशत लोग पहले से ही तीन पूर्व-विद्यमान बीमारियों के शिकार थे।
बुजुर्ग इतालवी लोग, जबकि उनमें से ज्यादातर अपने आप से रहते हैं, ये अलग-थलग नहीं होते हैं, और उनका जीवन अन्य देशों की तुलना में उनके बच्चों और युवा आबादी के साथ बहुत अधिक गहन होता है। जब इस तरह के बाहरी आघात [जैसे कोरोना वायरस का प्रकोप] होता है, तो यह महत्वपूर्ण है कि इन बुज़ुर्गों के युवाओं से मेलजोल में कमी आए, इसलिए बुजुर्ग लोगों को तुरंत अलग करना प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
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