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हिमालय के अदृश्य बाबा चलाते रहे भारत का शेयर बाज़ार – स्टॉक एक्सचेंज घोटाला

हाल में आई वेब सीरीज स्कैम 1992 में आप सबने देखा होगा की आखिर कैसे हर्षद मेहता ने शेयर बाजार में करोड़ों की हेराफेरी की लेकिन क्या हो जब आपको ये बताया जाए की कई सालों तक उस पूरे शेयर बाजार को एक ऐसा व्यक्ति चला रहा था जिसका इन सब से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था। सेबी द्वारा एक शिकायत के बाद हुई जांच और उसमें हुए खुलासे ऐसे हैं की आपके होश उड़ जायेंगे।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत और दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार है। यहां प्रतिदिन करोड़ों ट्रांजेक्शन होते हैं। एनएसई का दैनिक मार्केट कैप तकरीबन 64 हजार करोड़ रुपए है। अब अगर हम आपको बताए की इतना बड़ा शेयर बाजार कई सालों तक एक योगी के इशारों पर चलती रही तो क्या होगा। आप यकीन करें या न करें लेकिन यही सच्चाई है और इसका खुलासा खुद सेबी ने किया है। ये कहानी ऐसी है की इसका खुलासा और इसकी जांच करने में खुद सेबी को 6 साल का वक्त लग गया। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है पूरी कहानी।

कहानी है एक सीईओ की जो हिमालय में बसने वाले एक अज्ञात योगी के इशारों पर इतने बड़े शेयर बाजार के फैसले करती है। यही नहीं एक व्यक्ति को उस योगी के कहने पर इतनी छूट और मनमर्जी से नौकरी करने देती है जिसका कोई जोड़ नहीं। कहानी है एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामाकृष्णन की जो एक योगी के इशारों पर चलती है।

चित्रा 2013 से 2016 के दौरान एनएसई की सीईओ रही और इस दौरान शेयर बाजार के सारे बड़े-छोटे फैसले अज्ञात योगी के इशारे पर होते रहे। चित्रा ने योगी के इशारे पर आनंद सुब्रमण्यम नाम के व्यक्ति को न सिर्फ उसकी पात्रता से अधिक योग्य नौकरी दी बल्कि उसे उसकी शर्तों पर काम करने दिया।
सेबी ने एनएसई में गलत तरीके से संचालन और गलत कामों की शिकायत मिलने के बाद जांच की शुरुआत की थी जिसके बाद 6 साल लंबा जांच चलाया गया। आखिरकार पिछले शुक्रवार को सेबी ने जब अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी और ये खुलासे किए तो हर कोई हैरान रह गया। जांच के दौरान एनएसई द्वारा आनंद सुब्रमण्यम को ही अज्ञात योगी बताया गया हालांकि सेबी ने इसे सही नहीं माना।

सेबी के मुताबिक चित्रा ने 2013 में एक सरकारी कंपनी में 15 लाख रुपए कमा रहे व्यक्ति आनंद सुब्रमण्यम को एनएसई में 1.38 करोड़ रूपए के पैकेज पर हायर किया। उसे जिस पद के लिए रखा गया था वैसा कोई पद पहले था ही नहीं, इसके बाद आनंद को समय समय पर प्रमोशन दिया गया। इतना ही नहीं आनंद को हफ्ते में सिर्फ 3 दिन काम करने की आवश्यकता होती थी। ये सारे फैसले एक अज्ञात योगी के कहने पर लिया गया। चित्रा ने सेबी को बताया की योगी एक रूहानी ताकत है उनका कोई शरीर नहीं है वो जब चाहे जहां चाहे आते जाते हैं और जो चाहें वो रूप धारण कर लेते हैं।

सेबी ने बताया की चित्रा योगी से ईमेल के जरिए बात करती थी, वो न सिर्फ उससे बात करती बल्कि एनएसई की कई संवेदनशील जानकारियां भी साझा करती थी। चित्रा ने जो जानकारियां साझा की उसमें अगले 5 साल का फाइनेंशियल प्रोजेक्शन, डिविडेंड पे-आउट रेशियो, बिजनेस प्लान, एनएसई की बोर्ड मीटिंग का एजेंडा, एनएसई के कर्मचारियों के काम के रिव्यूज और अप्रेजल आदि शामिल है।

क्या आनंद ही है योगी?
सेबी के रिपोर्ट में तो योगी को तीसरा व्यक्ति माना गया है लेकिन एनएसई ने अपने जांच और दावों में आनंद को ही योगी बताया था। 2018 में एनएसई द्वारा सेबी को लिखे गए पत्र में कहा गया है की मनोविज्ञानी जांच के बाद आनंद ही योगी लगता है। एनएसई के इस दावे में दम इस लिए भी लगता है क्योंकि कथित तौर पर आनंद योगी को लगभग 20 सालों से जनता है।

योगी ने ही चित्रा को कहा था कि आनंद को नौकरी पर रखे और उसके ही कहने पर इतनी भारी-भरकम सैलरी दी गई। यहां तक कि योगी के एक ईमेल में आनंद को लेकर कहा की अगर वो धरती पर जन्म लेता तो आनंद के शरीर में ही लेता। इन सभी बातों से तो योगी और आनंद एक ही व्यक्ति लगता है हालांकि सेबी ने इसे सही नहीं माना है।

इस फिल्मी कहानी के सामने आते ही विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना चालू कर दिया है, विपक्ष वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठा रहा है।

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