नयी दिल्ली, 30 अप्रैल: 1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषी पूर्व पार्षद बलवान खोखर ने उच्चतम न्यायालय में कोविड-19 महामारी की वजह से आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत या पैरोल के लिए आवेदन किया है।
खोखर के वकील ने कहा की महामारी के मद्देनजर अदालतों और सरकार द्वारा जेलों में भीड़ कम करने के संबंध में दिये गए सुझाव को देखते हुये उन्हें पैरोल दी जाये। उच्चतम न्यालय ने खोखर के आवेदन पर आज तुरंत पैरोल ना देकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जवाब मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को इस अर्जी पर जवाब देने का निर्देश दिया।

दंगा पीड़ितों की ओर से जानेमाने वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूलका ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए खोखर की जमानत का विरोध किया। फुल्का इस समय पंजाब में अपने पैतृक गांव में हैं।
खोखर को इससे पहले अपने पिता का निधन होने की वजह से शीर्ष अदालत ने 15 जनवरी को चार सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया था।
खोखर और कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार इस समय सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। इन दोनों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर, 2018 को उम्र कैद की सजा सुनायी थी।
खोखर ने अपनी अर्जी में कहा की वह 65 वर्ष के हैं और पिछले 6 साल से जेल में बंद हैं। आवेदन में आगे कहा गया कि उन्हें मधुमेह, रक्तचाप तथा जोड़ों के दर्द सहित कई बिमारियां हैं। उन्होंने उच्च न्यालय और दिल्ली सरकार के ब्यान का हवाला दिया जिसमे कहा गया था की COVID19 माहामारी को फैलने से रोकने के लिये जेल नियमों में संशोधन कर दोषियों और विचाराधीन कैदियों को पैरोल का विकल्प प्रदान किये जायेंगे।
खोखर ने जेल के संशोधित नियम 1211 के तहत पैरोल का अनुरोध करते हुये कहा है कि वह कई बीमारियों से ग्रस्त है जिनकी वजह से उसे इस संक्रमण की चपेट में आने का खतरा है।
प्रधानमंत्री इन्दिरा गाधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़के थे जिसमे करीब 3000 लोग मारे गए थे। इन्हीं दंगों में से एक दक्षिण पश्चिम दिल्ली में पालम कालोनी के निकट राज नगर पार्ट-एक में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में एक गुरूद्वारा जलाये जाने की घटना के सिलसिले में उच्च न्यायालय ने खोखर की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी।