कोरोनोवायरस के इलाज करने के लिए वियतनाम में काली बिल्लियों का मारा जा रहा है, उबाल कर उनका काढ़ा और पेस्ट बनाया जा रहा है

विएतनाम के हनोई शहर में लोग काली बिल्लिओं का मार कर उनका काढ़ा बना कर पी रहें हैं, ऐसा एक अफवाह के चलते हो रहा है। विएतनाम में कहीं से यह अफवाह तेज़ी से फ़ैल गई की काली बिल्ली का काढ़ा पीने से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। फोटो में आप देख सकते हैं एक छोटा बच्चा बिल्ली का काढ़ा पी रहा है। काली बिल्ली का यह काढ़ा विएतनाम में ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है।

बिल्ली को माकर उसे धोया जाता है और फिर धुप में सूखने के लिए रख दिया जाता है। सुखाने के बाद इनका सूप या पेस्ट बनाकर कोरोना संक्रमित लोगों को या उन लोगो को दिया जाता है जिन्हे संक्रमण की आशंका होती है।
बिल्लिओं के काढ़े से कोरोना वायरस के इलाज की जानकारी एक जानमानी संस्था “नो टू डॉग्स मीट” ने दी, यह संस्था दुनिया के अलग अलग देशों में कुत्ते का मीट खाये जाने का विरोध करती है।
इस संगठन की कार्यकर्ता ने कहा: इस बात का कोई भी सबूत नहीं है कि बिल्लियों को खाने से कोरोनोवायरस ठीक हो जाता है, और अगर था भी, तो यह अमानवीय व्यवहार क्रूरता का एक स्तर है जो मांस खाने वालों के लिए भी अस्वीकार्य है। चीन में जब वायरस ने पहली बार अफवाहें फैली कि पालतू जानवर बीमारी फैला सकते हैं, इस वजह से कई लोगों और अधिकारियों ने जानवरों को पकड़ पकड़ कर उन्हें मार डाला।
कोरोना वायरस के चलते चीन में वन्यजीवों को खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है और औपचारिक रूप से कुत्तों और बिल्लियों को पालतू जानवर के रूप में मान्यता दी है। अप्रैल की शुरुआत दिनों में ही चीन के औद्योगिक शहर शेनझेन ने बिल्लियों, कुत्तों, जंगली जानवरों जैसे सांप और छिपकलियों के खाने पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इन नियमों को तोड़ने पर 150,000 युआन (चीनी मुद्रा) यानी की 15 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
वियतनाम और इंडोनेशिया में, कुत्तों और बिल्लियों और विदेशी वन्यजीवों को खाने की प्रथा अभी भी बहुत प्रचलित है।